"कलर्स ऑफ रेड" एक प्रेम कहानी जिसके क्लाइमैक्स और अंत की कल्पना भी कर पाना मुमकिन नहीं...
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- Oct 21, 2021
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सीआरपीएफ के सीओ राकेश कुमार सिंह ने बस्तर में अपने 3 साल के अनुभवों पर एक और किताब ‘कलर्स ऑफ रेड’ लिखी। इसका विमोचन देश के कानून व न्याय मंत्री किरेन रिजिजु ने दिल्ली में किया। उन्होंने इसके लिए खुशी जताकर सीओ राकेश को शुभकामनाएं भी दी। कमांडेंट राकेश कुमार सिंह ने बस्तर और नक्सलवाद की रक्त रंजित पृष्ठभूमि में एक अनूठे एवं रोमांचक उपन्यास "कलर्स ऑफ रेड" का सृजन किया है। यह बस्तर के युद्ध क्षेत्र में तैनात एक युवा अर्धसैनिक अधिकारी की नाटकीय किंतु मार्मिक प्रेम कहानी है। एक फौजी अधिकारी शौर्य की दिल्ली के चकाचौंध भरे जीवन को छोड़कर ना चाहते हुए भी बस्तर के खूंखार जंगल में तैनाती, वहां रक्त पिपासु माओवादियों के साथ अनचाहे खूनी संघर्ष में शामिल होना, हर दिल अजीज शौर्य के लिए बड़ा भारी गुजरने लगता है। वह जल्द ही यह मानने लगता है कि बस्तर के दंडकारण्य जंगल में उसका निर्वासन उसकी दिलकश एवं रूमानी जीवन शैली पर अंकुश लगाने के लिए उसे दी गई दी गई एक आधिकारिक सजा है।

जंगल के एकाकी जीवन में अपने अकेलेपन और नीरसता को दूर करने के लिए शौर्य नए-नए उपाय ढूंढने लगता है। इसी बीच अचानक एक दिन उसकी मुलाकात एक आदिवासी सुंदरी सनाया से होती है। यूं तो सनाया एक वैज्ञानिक है किंतु वह स्वयं के वजूद को खोजने के साथ ही बस्तर के गौरव को भी दोबारा स्थापित करने की चाह रखती है। सनाया से हुई पहली मुलाकात में ही दोनों एक दूसरे के प्रति बौद्धिक,आत्मिक और शारीरिक रूप से सम्मोहित होने लगते हैं। शौर्य ना चाहते हुए भी अपने अकेलेपन और पत्नी और बच्चों से बनी दूरी को सनाया के साथ गुजारे पलों में जस्टीफाई करने लगता है। दोनों धीरे-धीरे एक दूसरे इतने करीब आ जाते हैं कि समाज के तथाकथित आदर्श, मर्यादाएं एवं वैवाहिक अनुशासन कब उनके रोमांचक प्रेम की बलि चढ़ जाते हैं इसका अंदाजा उन्हें भी नहीं लगता। किंतु वे जल्द ही एक ऐसे खतरनाक खेल में मोहरे बन जाते हैं, जिसका कोई विजेता नहीं बन सकता है। तमाम प्रेम कहानियां की तरह यह कथा इतनी सरल नहीं है, उपन्यास को बिना पूरा पढ़े हम इसके क्लाइमैक्स और अंत की कल्पना भी नहीं कर सकते।

इस उपन्यास का विमोचन देश के कानून व न्याय मंत्री किरन रिजिजु एवं केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने दिल्ली में किया। दोनों नेताओं ने राकेश कुमार सिंह को अपने व्यस्त जीवन के बीच में समय निकालकर इतने अनूठे उपन्यास को लिखने के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी। इसके साथ ही केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के महानिदेशक कुलदीप सिंह एवं आइटीबीपी के महानिदेशक संजय अरोड़ा ने भी लेखक को इस शानदार कृति के लिए बधाई दी है।
कमांडेंट राकेश कुमार सिंह अपने 3 साल का कार्यकाल छत्तीसगढ़ के बस्तर में पूर्ण कर वर्तमान में दिल्ली में तैनात है। उनका छत्तीसगढ़ में कार्यकाल बहुत ही सफल एवं सराहनीय रहा है। उनके द्वारा अनेक उच्चस्तरीय सफल परिचालनिक अभियानों के साथ ही बस्तरवासियों के स्वास्थ सुधार एवं विभिन्न सामाजिक मुद्दों को लेकर जन जागरूकता अभियान भी चलाया गया है।
हाल ही में इसके लिए उन्हें गृहमंत्री अमित शाह ने सम्मानित किया था। बता दें राकेश कुमार 3 साल तक दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ 195 बटालियन में सेवाएं दे रहे थे। अभी वे दिल्ली में पदस्थ हैं। साल 2011 में लिखी नक्सलवाद और पुलिस की भूमिका व साल 2021 में लिखी। नक्सलवाद अनकहा सच के लिए उन्हें प्रतिष्ठित गोविंद बल्लभ पंत पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।

बस्तर को लोग खतरनाक जगह समझते हैं। इस किताब के जरिए बताना चाहता हूं कि बस्तर एक बेहद खूबसूरत जगह है। यह किताब अमेेेजॉन पर उपलब्ध है। - सीओ राकेश कुमार
100 से अधिक लेख लिख चुके हैं, कई अवार्ड भी मिले राकेश कुमार सीआरपीएफ में 25 सालों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। भारत कई पदकों के साथ सीआरपीएफ की ओर से 10 प्रशस्ति डिस्क से सम्मानित किया गया है। कई पत्र-पत्रिकाओं में 100 से अधिक लेख भी लिखे हैं।भारत कई पदकों के साथ-साथ सीआरपीएफ द्वारा 10 प्रशस्ति डिस्क से सम्मानित किया गया है। उन्होंने नक्सल प्रभावित ज़िला दंतेवाड़ा के अलावा कश्मीर सहित अन्य क्षेत्रों में सेवाएं भी दी हैं। उनकी कमान के तहत, बस्तर में उनकी यूनिट को 2019 में सर्वश्रेष्ठ ऑपरेशनल बटालियन के रूप में चुना गया था। कई पत्र-पत्रिकाओं में 100 से अधिक लेख भी लिखे हैं।
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