स्वयं की खोज हमें, सत्य की खोज तक ले जाएगी: आचार्य प्रज्ञा शर्मा
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- Jun 10, 2021
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ध्यान का जो सबसे बड़ा परम उद्देश्य है वह यही है कि हम अपने वास्तविक स्वरूप को जाने

आचार्य प्रज्ञा शर्मा
ध्यान क्या है, यह जानने के लिए सबसे पहले यह जानना होगा कि ध्यान करने का उद्देश्य क्या है। अपनी अंतरात्मा में मनन और चिंतन करें कि वह कौन से प्रश्न है जो ध्यान के संबंध में हमें जानने हैं। दरअसल, ध्यान एक यात्रा है, जो बाहर की ओर ना होकर हमारे अंदर की यात्रा है। हमारे अंदर जो हमारी अंतरात्मा है, हमें स्वयं को उस अंतरात्मा तक ले जाना है,और यह ले जाने की जो प्रक्रिया है वह ध्यान है। हमें अपने अंदर की यात्रा करने के लिए अपनी ज्ञानेंद्रियों को बाहर की ओर न मोड़कर अंदर की ओर एक आयाम में व्यवस्थित करना होगा। जिसमें हम उन प्रश्नों के उत्तर ढूंढ सकें जो हमारे अंतर्मन में उठते हैं, जैसे इस सृष्टि का रहस्य क्या है, परमात्मा की खोज कैसे करें या हमारा वास्तविक स्वरूप क्या है।
ध्यान का जो सबसे बड़ा परम उद्देश्य है वह यही है कि हम अपने वास्तविक स्वरूप को जाने। हम अपने वास्तविक स्वरूप को जानकर ही परमात्मा को पहचान सकेंगे। स्वयं की खोज हमें, सत्य की खोज तक ले जाएगी एवं सत्य की खोज हमें परमात्मा तक ले जाएगी। हमारी यह खोज बाहर की दुनिया की खोज नहीं है। इसके लिए हमें अंदर की यात्रा करनी होगी। अंदर की यात्रा हमें परम सत्य तक ले जा सकती है। यही ध्यान का परम उद्देश्य है। हमारे अंदर का यह प्रश्न कि परमात्मा हमसे क्या चाहता है? इस प्रश्न का उत्तर भी हमें अंतर्मन में स्थित परमात्मा से ही प्राप्त होगा। परमात्मा हमसे चाहता है कि हम इस माया जगत से परे जाकर उस परम सत्य को जाने। उसे जान लेने पर ही हमारी सारी समस्याओं का समाधान हो सकता है क्योंकि आकांक्षाओं की दौड़ कभी समाप्त नहीं होगी। इस दौड़ से बचने का उपाय है, परमात्मा की प्राप्ति। जो हमें पहले से ही मिला हुआ है, उसकी फिर से प्राप्ति ही ध्यान की यात्रा है।
ध्यान के प्रकार
1. शारीरिक ध्यान
2. मानसिक ध्यान
3. भावनात्मक ध्यान
4. उच्च अवस्था ध्यान
5. दिव्या अवस्था ध्यान
ध्यान के चिकित्सकीय आयाम
1. शारीरिक शुद्धि व उपचार
2. मानसिक शुद्धि व उपचार
3. आत्मानुभूति अवस्था
4. परमा अवस्था
परमसुख और आंतरिक शक्ति की प्राप्ति
ध्यान आपके मस्तिष्क के बहुआयामी चिंतन के द्वार खोलने की कला है। इसके द्वारा अनंत ऊर्जा और असीमित ज्ञान तक पहुंचा जा सकता है। यह आपको अपार और शाश्वत प्रसन्नता की ओर ले जाता है।
पूर्व जन्मों का रहस्य
पूर्व जन्मों के रहस्य को जानना भी गहरे ध्यान के प्रयोग द्वारा ही संभव है। असल में हमारा भाग्य हमारे पूर्व जन्मों के कर्मों का ही प्रतिफल है ।
कर्मा तीन प्रकार के होते हैं
1. संचित कर्म
(दबे हुए कर्मा तो कई जन्मों के हैं)
2. प्रारब्ध कर्म
(ऐसे कर्म जिनके फल मिलना इस
जन्म में तय है)
3. कर्मकांड कर्मा
(ऐसे कर्म जिनके फल तुरंत मिलते हैं)
इन सभी कर्मों के रहस्य को जानने के लिए हम अपने पूर्व जन्मों की यात्रा कर सकते हैं जो कि गहरे ध्यान के प्रयोग द्वारा संभव हो सकता है। इसे पास्ट लाइफ रिग्रेशन थेरेपी कहते हैं। इसके द्वारा हम अपने पिछले जन्मों के कर्मों को जानकर इनके प्रतिफल में काफी सुधार कर सकते हैं। ऐसा दावा भी किया जाता है कि इस तकनीकी से कई बीमारियों का इलाज भी संभव है। पिछले जन्मों का प्रभाव आज भी हमारे भाग्य को प्रभावित करता है। इस प्रक्रिया द्वारा कई भावनात्मक व शारीरिक समस्याओं का समाधान संभव है। किसी के साथ कौन सा कर्मा जुड़ा है, कोई क्यों हमें परेशान कर रहा है, या किसी से हमें लगाव क्यों है, इन सभी प्रश्नों के उत्तर भी इस तकनीकी के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
हीलिंग की विभिन्न तकनीकों की सहायता से हम अपने कर्मों की शुद्धि, शारीरिक शुद्धि, मानसिक शुद्धि भी कर सकते हैं। अपने इस जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्त हो सकते हैं एवं अन्य अनेक जन्मों में जो आने वाले दुख हैं उनका सुधार भी कर सकते हैं। इस तरह हम ध्यान की विभिन्न विधियों द्वारा आत्म शुद्धि व आत्म दर्शन कर सकते हैं। कर्म और भाग्य के सिद्धांत को जानकर हम अपने जीवन को नए आयाम दे सकते हैं। ध्यान के द्वारा हम अपनी प्राण ऊर्जा, मनो ऊर्जा, आत्म ऊर्जा एवं ब्रह्म ऊर्जा को बढ़ाकर योग के परम उद्देश्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
लेखक शिक्षाशास्त्री, चिकित्सीय मनोवैज्ञानिक, सम्मोहन चिकित्सा रैकी गुरु एवं आध्यात्मिक साधक।
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