दिन नूर भरा हो, आंखों में नमी रहे, आओ दुआ करें ये दुनिया हरी रहे
- Byline
- Jun 6, 2021
- 2 min read
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर 'शनिवार की शाम पर्यावरण के नाम' के अंतर्गत काव्य गोष्ठी कार्यक्रम

Byline Bhopal
इंद्रा पब्लिशिंग हाउस द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर शनिवार की शाम पर्यावरण के नाम” के अंतर्गत काव्य गोष्ठी कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान सभी वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवियों ने पर्यावरण पर अपने विचार और कवितायें प्रस्तुत कीं। इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथिगण मनोज कुमार श्रीवास्तव (वरिष्ठ साहित्यकार एवं भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी, अनेक पुस्तकों के रचयिता), पवन जैन (वरिष्ठ कवि एवं भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी, काव्य संग्रह “मैं समय हूँ” प्रकाशित), चिराग जैन (मंच संचालक, “छूकर निकली है बैचेनी” समेत 7 संग्रह प्रकाशित), सुदीप भोला (हास्य-व्यंग्य कवि एवं गीतकार, राष्ट्रीय मंत्री राष्ट्रीय कवि संगम) और मनीषा शुक्ला (लोकप्रिय कवयित्री, “मीठा कागज़” गीत संग्रह प्रकाशाधीन) और इंद्रा पब्लिशिंग हाउस के मेनेजिंग डायरेक्टर मनीष गुप्ता उपस्थित थे। “हवा इतनी नई है कि लगता ही नहीं सदियों से बह रही हो, पेड़ इस बुढ़ापे में भी इस कदर झूमते हैं, कमाल है मौसम” इस तरह मनोज कुमार श्रीवास्तव ने हवा, बादल, नदी और फूलों पर कविता सुनाई। पवन जैन ने पर्यावरण पर कविता सुनाई – “दिन नूर भरा हो, आंखों में नमी रहे, आओ दुआ करें ये दुनिया हरी रहे।” साथ ही कोरोना के योद्धा, जिन्होंने कोरोना काल में लोगों की सेवा की और अपनी जान गवाई, उनके लिए कहा – ये मत सोचना कि सो गए हो तुम, अब सारे वतन के हो गए हो तुम। मनीषा शुक्ला ने कहा कि “भविष्य या तो हरा होगा, या तो होगा ही नहीं।” साथ ही धरती पर कविता सुनाई-“विधाता से मिली हमको सहज वरदान है धरती, सहज की, धीरज-संयम की, अमिट पहचान है धरती।”
मनोज कुमार श्रीवास्तव ने हवा, बादल, नदी और फूलों पर कविता सुनाई।
“हवा इतनी नई है कि लगता ही नहीं सदियों से बह रही हो, पेड़ इस बुढ़ापे में भी इस कदर झूमते हैं, कमाल है मौसम”
कवि सुदीप भोला ने पानी पर कविता कही, “बचाया ना जो पानी हमने अगर, यूं बेफिकर रहे हम बेखबर, हमारी ही नादानी, का फिर असर, रूह कांप जाती है सोचकर।” एवं हिम्मत बढ़ाने के लिए सुंदर कविता सुनाई। चिराग जैन ने अपने पर्यावरण को लेकर विचार विमर्श किए और कहा कि पर्यावरण दिवस ये दस्तक देता है कि इंसान को बचाना है तो प्रकृति को बचाना होगा। साथ ही कविता सुनाते हुए कहा कि “अपने घर की बालकनी में एक तुलसी का पौधा लगा लो, और अपने परिवार के लिए सांसें बढ़ा लो।” प्रकाशन संस्था के मेनेजिंग डायरेक्टर मनीष गुप्ता ने सभी का धन्यवाद किया और इस कार्यक्रम का समापन किया। उन्होंने कहा कि आशा है कि इस कार्यक्रम में कविता पाठक के माध्यम से लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।
تعليقات